Deevan A Galib by मिर्ज़ा ग़ालिब - Mirza Ghalib" width="188" height="300" />
ले गये खाक में हम दाये - तमन्नाए - লিহালং तू हो और आप वत्तद - र्यः गुलिस्तां होना इ्रते - पारएए - दिल,' जसम - तमन्ना জালা लज़्जुते - रेशें - जियर,' कृ - नमक. होना की मिरे कृत्ल के वाद उसने जफा से तोौवा हाय. उत्त जूँद - पशेमा का पमां होना हेफ उतत चार गिरह कपडे की किस्मत शगालिवः जितकी किस्मत में हो आशिक का गरेवां होना শ मुर [ ঙ্ সু সু दोस्त ग्रमख्वारी मेँ मेरी सई फरमायेंगे. क्या ? ह्म के भरने तलक नाखुन वन वढ़ आयेंगे क्या ? वे - निया हद् ते गुजरी, बन््दा-परवर कर तलक हम कहेंगे हाले दिल, श्र आप फरमायेगे, “स्या 2 हजरते नासह गर आयें, दीकओओ दिल ररौ राह कोई मुककी यह तो समकादों कि समकायेंगे क्या? आज वां तेगरों- कफृन वॉघे हुए जाता हूं में उञ्र मेरे कृत्ल करने में वो अब लायेंगे कया ? गर किया नातह नै हमको कृद, चच्छा ! युं सही यह चुूने स्कृ के छन्दा छुट जायेंगे कया ? खाना - ज़ादे - जुल्फू हं, जंजीर से भागेगे व्यो ? हैं गिर्तारे वफ़ा जिन्दा से षरवरायेगे क्या? 8 उल्लास की श्रमिलापा का दागू, २. सौ रंग, ३. दिल के डकड़ें का आनन्द ४. इच्छा का बाव, ५ जियर के धाव का आनन्द; ६- नेमकदान में ्व॑ना, ७. शीघ्र ज्ञज्जित होने बाला, ७. भफमोप्त, ६, यल, १०. उदासीनता, ৭ किक. সস उपचा, १६. चुल्फ़ का कदी, १२. जेल 1 १७
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